भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के पुण्यतिथि पर हुआ सामयिक संवाद

औरंगाबाद से कपिल कुमार

सदर प्रखंड के जम्होर विकास मंच के तत्वावधान में भोजपुरी के महान साहित्यकार भिखारी ठाकुर की 53 वीं पुण्यतिथि के मौके पर सामयिक संवाद का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने संवाद करते हुए कहा कि भिखारी ठाकुर भोजपुरी भाषा के शेक्सपियर के रूप में जाने जाते हैं।भिखारी ठाकुर भोजपुरी के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी,लोक जागरण के संदेशवाहक,लोकगीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधन थे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी भिखारी ठाकुर भोजपुरी गीतों एवं नाटकों की रचना कर समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का कार्य किया था।समसामयिक मुद्दों को वे लोकगीतों के माध्यम से उजागर करते थे।लोक नाटक को मंच पर प्रदर्शित करके जन-जन में जो समस्याएं दिखती थी उन समस्याओं को वे विशिष्ट कलाकारिता के माध्यम से समाज में संदेश देने का कार्य करते थे। भिखारी ठाकुर भविष्यद्रष्टा एवं युगद्रष्टा के रूप में जाने जाते थे आज समाज में जो विकृतियों दिख रही हैं उसे अपने नाटकों के माध्यम से कई दशक पहले ही भिखारी ठाकुर ने प्रचारित एवं प्रसारित करने का कार्य किया था। विदेशिया नाटक के माध्यम से जन सामान्य में जो आवाज उठ रही थी उनकी आवाज बनने का कार्य किया था।बेटीबेचवा लोक नाटक के माध्यम से सामाजिक समस्या को दूर करने का प्रयास किया था ।उनकी कालजई रचनाएं भाई विरोध, कलयुग प्रेम,गंगा स्नान,विधवा विलाप,पुत्रवध आदि हैं जो समाज के तात्कालिक समस्याओं को उजागर करती हैं।उनकी रचनाएं हृदय को झकझोरने वाली होती हैं।जब रचनाओं को अंगीकृत करते है तो लोग भाव विह्वल होकर द्रवित हो जाते हैं। संवाद के माध्यम से साहित्य प्रेमियों ने मांग किया कि भिखारी ठाकुर के नाम से विश्वविद्यालय एवं साहित्यिक अध्ययन संस्थान की स्थापना किया जाए।संवाद के मौके पर राणा सुनील,सुजीत कुमार सिंह,गायक अमित कुमार सिंह,राम पुकार ओझा,नवीन कुमार,सोमप्रकाश रविकर,सौरव राज सहित अन्य उपस्थित थे।

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