औरंगाबाद से कपिल कुमार।
पटना एनआईए टीम में शामिल मिलिट्री जवान को लापता हुएं अब तक 6 साल बीत गए, लेकिन अब तक कोई पता नहीं चला। इससे परिजन अनहोनी का आसान जता रहे हैं। मिलिट्री जवान जिले के जम्होर थाना क्षेत्र के चिरैला पौथू गांव निवासी बीएमपी जवान पंकज कुमार पाठक हैं। जिनका लापता हुए अब तक 6 साल हो गए, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। इससे परिजन बेहाल हैं। पुलिस विभाग के बड़े-बड़े दफ्तरों से लेकर नेता मंत्री के कार्यालय का भी परिजनों ने खोजबीन का गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कहीं से कोई आता पता नहीं चलना विभाग की नाकामी के साथ साथ एक साजिश का भी आशंका जाता रहे हैं। रविवार की शाम एक होटल में प्रेस वार्ता कर लापता बीएमपी मिलिट्री जवान के भाई प्रवीण कुमार पाठक ने बताया कि हम लोग पिछले 6 साल से खोजबीन में जुटे हैं लेकिन पुलिस विभाग में ही कार्यरत मेरे बड़े भाई का अब तक कोई पता नहीं चलना एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। इससे बीएमपी जवान की पत्नी बेटे बेटी भी बेहाल व चिंतित हैं। बीएमपी जवान पंकज कुमार पाठक के भाई प्रवीण पाठक ने बताया कि हम लोग हर दफ्तर कार्यालय का चक्कर काटते काटते आज 6 साल गुजार दिए, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं लगा। मेरे भाई इस दुनिया में है या नहीं है इसकी भी कोई आता पता नहीं चल रहा है । लेकिन हम लोग का उम्मीद है कि मेरे भाई कहीं ना कहीं जरूर हैं। लेकिन विभाग खोजने में अब तक असमर्थ है, जिससे हम लोग काफी परेशान हैं। प्रवीन पाठक ने बताया कि मेरे भाई बीएमपी जवान पंकज पाठक दरभंगा में कार्यरत थे लेकिन डिप्टेशन में we वर्ष 2018 में पटना के शास्त्री नगर स्थित बीएमपी कार्यालय में कार्यरत थे। सीसीटीवी फुटेज से पता चला था कि 18 अगस्त 2018 को मेरे भाई पंकज पाठक अपने बीएमपी कार्यालय से ड्यूटी के लिए निकल रहे थे। ड्यूटी पर अन्य साथियों से पता चला था कि वह किसी काम से कुछ दूर गए थे लेकिन उसके बाद से आज तक कोई आता-पता नहीं चला। आज 18 तारीख 2024 को पूरे 6 साल हो गए लेकिन हम लोग के आंखें आज भी उनके चेहरे को दिखाने को बेताब है। लेकिन उनके चेहरे के साथ-साथ आज तक उनका आवाज भी सुनने को नहीं मिला। फोन से भी कहीं कुछ सुराग मिलता तो हम लोग खुद जाकर लाते । लेकिन इसमें सबसे बड़ी गलती विभाग को है जो आज तक खोजबीन करने का प्रयास नहीं किया। प्रवीण पाठक ने बताया कि अपने भाई को खोजने में हर कोशिश लगा दी। हर पुलिस विभाग से लेकर राजनीतिक कार्यालय का चक्कर काटा, लेकिन आज छह साल बीतने के बाद भी अब तक कोई पता नहीं चला जिससे हम सभी परिजन काफी चिंतित हैं।