स्तनपान सप्ताह: मां के दूध पर निर्भर रहे बच्चा, स्वास्थ्य के लिए कई फायदे
औरंगाबाद से कपिल कुमार।
दुनियाभर में एक अगस्त से सात अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। स्तनपान से बच्चों को कई फायदे होते हैं। नवजात शिशु को पहला मां का दूध अमृत समान होता है और इसे पिलाना मां का फर्ज बनता है। मां बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें स्तनपान जरूर कराएं । मां का दूध अमृत समान माना जाता है। जन्म लेने के बाद शिशु पूरी तरह मां के दूध पर ही निर्भर होता है। कई बार पहली बार मां बनने वाली महिलाएं जागरूकता के अभाव में अपने पोषण पर ही ध्यान नहीं देती हैं, जो उनके और उनके बच्चे के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि स्तनपान के दौरान महिलाओं को अपने खानपान को कैसे संतुलित रखना चाहिए। सीनियर डायटिशियन मीना सेठ बताती हैं कि शिशुओं को आमतौर पर जन्म से लेकर छह महीने तक स्तनपान कराना चाहिए। उसके बाद दो साल या उससे अधिक समय तक भी ठोस आहार के साथ स्तनपान जरूरी होता है। यह मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है। मीना का कहना है कि स्तनपान के दौरान महिलाओं को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इससे बच्चे का विकास सही तरीके से होगा और वह स्वस्थ भी रहेगा। इसके अलावा स्तनपान कराने वाली मां को अपने खाने में अतिरिक्त कैलोरी लेनी चाहिए। शिशु को स्तनपान कराने के लिए महिलाओं को अपनी डाइट में रोजाना कम से कम 400 ग्राम कैलोरी की आवश्यकता होती है।महिलाएं अपने खानपान पर उचित ध्यान देंगी तब ही दूध बनेगा। इसके लिए उन्हें पर्याप्त पानी पीना चाहिए, जिससे उनमें डिहाइड्रेशन नहीं होगा। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने आहार में भी दूध शामिल करना चाहिए, जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होगी। इसके अलावा महिलाओं को रोज एक रसीला फल खाना चाहिए। इस दौरान चाय-कॉफी का सेवन कम कर देना चाहिए मगर यदि आप चाय कॉफी की शौकीन हैं तो आप रोजाना दो कप तक पी सकती हैं।मीना का कहना है कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं अपने आहार में हरी और पत्तेदार सब्जियां, दूध, मेवा, सौंठ के लड्डू, गोंद के लड्डू, बाजरा जरूर शामिल करें। नॉन वेज खाने वाली महिलाओं को मछली और अंडा जरूर खाना चाहिए। इससे बच्चे में पोषण की कमी नहीं होगी।मीना सुझाव देती हैं कि इस दौरान महिलाओं को दवा कम खानी चाहिए। अधिक दवाइयां खाने से उसका असर मां के बनने वाले दूध पर भी पड़ता है और दूध का स्वाद बिगड़ सकता है। कभी कभार बच्चे को उसका स्वाद पसंद नहीं आता है तो वे मां का दूध पीना छोड़ सकते हैं। डिलीवरी के बाद महिलाएं एरोबिक्स जैसे हल्के व्यायाम कर सकती हैं। इससे हार्ट बीट नॉर्मल रखने में मदद मिलेगी जिससे कार्डियोवस्कुलर फिटनेस बरकरार रहेगा।मीना आगाह करती हैं कि डिलीवरी के बाद कई बार महिलाओं का वजन तेजी से बढ़ जाता है। इसके लिए फ्रिकमंद होने की जरूरत नहीं है। वजन कम करने के चक्कर में महिलाओं को अपने खानपान में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए। खाने में कैलोरी कम करने से पोषण की कमी होने का का खतरा रहता है, जिस कारण दूध कम बनेगा। इससे बच्चे को परेशानी हो सकती है और फिर उनके पोषण पर खतरा रहेगा।