जैव विविधता के तहत जड़ी बुटी समेत अन्य पौधों को किये जाएंगे विकसित, पुराने वृक्ष को करें संरक्षित, हमारी विरासत की है पहचान

विडियो कांफ्रेंस के जरिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने की बैठक

औरंगाबाद से कपिल कुमार

मंगलवार को पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने विडियोक्राॅफ्रेसिंग के माध्यम से वन विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी रूचि सिंह, जैव विविधता प्रबंधन समिति अध्यक्ष सह जिला पार्षद गायत्री देवी एवं अन्य जैव विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य, वन विभाग के वन क्षेत्र पदाधिकारी वनपाल एवं वनरक्षी शामिल रहें। मंत्री ने कहा कि जैव विविधता के सदस्यों की भूमिका कृषि वानिकी, पशु एवं अन्य उत्पादन व्यवस्था में जैविक विविधता, प्राकृतिक वन क्षेत्रों में जैव विविधता के विभिन्न कार्यो पर विचार विमर्श किया। कहा कि जैव विविधता के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे, वनस्पति, जड़ी बुटी, घास एवं अन्य प्रजातियों के बीजारोपन कर हरा भरा बनाएं। साथ ही वन विभाग की जिम्मेदारी है उसे क्षेत्रों में कायम करें ताकि जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक हमारा भूमि हरा भरा हो। साथ ही भौगोलिक दृष्टिकोण से आज के परिवेश में पनपने वाले जीव जन्तुओं पर विशेष ध्यान दें। वहीं वन्य जीवों, पक्षियों, जलय जन्तुओं, कीड़े मकोड़े एवं सूक्ष्म जीवों की विविधता पर विशेष ध्यान रखें। जीवों की रक्षा करना ही हमसभी का जिम्मेवारी है। मंत्री ने प्राकृतिक वनाच्छादन का संरक्षण करने के लिए कई तरीके बताया। साथ ही पौधारोपन कर पेड़ों की बचाने व संरक्षित करने पर विशेष बल दिया। कहा कि जड़ी बूटी के खेती, बागवानी, कृषि वानिकी तथा अन्य वनस्पति तथा जैविक उत्पादन के प्रकृति स्थलों से निष्कासन कर व्यापार को अपने संज्ञान में लेकर जैव विविधता अधिनियम के तहत विनिमयन लाने की बात कही। इस तरह से स्थानीय जैव विविधता प्रबंधन समिति को एसे व्यापार से काफी लाभ मिल सकते हैं। वन पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि पुराने बड़े वृक्षों जैसे पीपल, पाकड़, बरगद, नीम चह, जंगल जलेबी, सिरिस, शीशम, जामुन आम को विरासत वृक्ष के रूप में पहचान मिल सकें।

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