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सांस्कृतिक उत्थान व सामाजिक क्रांति से भारत पुनः बनेगा जगतगुरु

औरंगाबाद से कपिल कुमार।

शहर के समाहरणालय स्थित अनुग्रह नारायण नगर भवन में शनिवार को गायत्री परिवार के प्रज्ञा युवा प्रकोष्ठ औरंगाबाद द्वारा युवा उत्कर्ष का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य सांस्कृतिक उत्थान के साथ नैतिक, बौद्धिक और सामाजिक क्रांति द्वारा भारत को पुनः चक्रवर्ती और जगतगुरु राष्ट्र बनाना है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता शामिल मोटिवेशनल स्पीकर मनीष कुमार ने कहा कि युवा शक्ति के बिना भारत का विकास सम्भव नहीं है। स्वस्थ, शालीन, परिश्रमी, स्वावलंबी और श्रेष्ठ युवा ही देश की रीढ़ और ऊर्जामय कड़ी मानी जाती है, जो भारत को पुनः अपने गौरवशाली रूप में विश्व मंच पर स्थापित कर सकता है। ‘छात्र जीवन की समस्या और उसका समाधान’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया में सफलता और असफलता के बीच का अंतर परिश्रम और मेहनत का है। व्यक्ति के जीवन मे नकारात्मक और सकारात्मक दो तरह की ऊर्जा विद्यमान है; नकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को पतन की ओर ले जाती है वही सकारात्मक ऊर्जा मनुष्य को मानव से महामानव बना देती है। उन्होंने अध्यात्म पर बल दिया। साख कर युवाओं को अध्यात्म के माध्यम से मेटिटेशन करने को कहा। कहा कि प्रत्येक युवा को अपना दीपक स्वयं बनाना चाहिए। युवाओं को आगे बढ़ने की तैयारी करना चाहिए एवं विचार को बदलने के लिए साहित्यों को शरण लेना चाहिए। श्री कुमार ने मनुष्य को अपने आंतरिक प्रसुप्त शक्तियों को जगाने के लिए नियमित ध्यान और गायत्री मंत्र जाप करने पर बल दिया। जो व्यक्ति नियमित गायत्री मंत्र और सूर्य का ध्यान करता है उसका मस्तिष्कीय क्षमता का विकास होता है। गायत्री मंत्र युवाओं को स्मार्ट बनाने का मंत्र है जिससे युवाओं को सद्बुद्धि और सन्मार्ग मिलता है। वर्तमान समय में युवा सोशल मीडिया के आदि होकर रास्ते से भटक जा रहे हैं। छोटी उम्र से ही वे निगेटिव रास्ते के तरफ अग्रसर हो जा रहे हैं। कम उम्र के युवाओं में यह सोच विकसित नहीं हो पाता कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। अगर उनकी सोच में सकारात्मकता लाई जाए तो जिस संसाधन का उपयोग सकारात्मक कार्यों के लिए होनी चाहिए वो कभी भी उनका उपयोग नकारात्मक क्षेत्र में नहीं करेंगे। इन युवाओं के अन्दर सकारात्मकता पैदा मेडिटेशन के माध्यम से किया जा सकता है। आज युवा अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर तो बन रहे हैं लेकिन सेवा-भावी एवं मानवता युक्त नहीं बन पा रहे हैं। इसका परिणाम सबसे अधिक परिवार को भुगतना पड़ रहा हैं। जब आप वृद्ध आश्रम में जाते हैं तो पता चलता है कि अच्छे-अच्छे अधिकारी के माँ-बाप इस में जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं। इन्हीं समस्याओं का समाधान अखिल विश्व गायत्री परिवार कर रहा है, जिसमें युवा प्रकोष्ठ युवाओं को सजग, जागरूक, शालीन और सभ्य बनाते हुए शिक्षित कर रहा है।कार्यक्रम में अरविंद कुमार, लाल बाबू, निशांत रंजन, प्रिंस रंजन, उदय कुमार सिंह, भैरवनाथ पाठक, चंद्रदीप भगत, मनोरंजन कुमार, राजेश कुमार, प्रवीण कुमार आदि उपस्थित रहे।

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