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भगवान श्री राम को बाल्यकाल में माता कैकेई ने ही सिखाई थी धनुर्विद्या, पुस्तक का हुआ लोकार्पण

शहर के ब्लॉक मोड़ स्थित पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रांगण में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के बैनर तले एक कार्यक्रम आयोजित कर प्रताप नारायण सिंह रचित खंडकाव्य कैकेई का लोकार्पण किया गया। समारोह की अध्यक्षता जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने किया, जबकि संचालन कवि नागेंद्र प्रसाद केसरी ने किया। कार्यक्रम का उद‌घाटन मुख्य अतिथि डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,समकालीन जवाबदेही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह,पूर्व बीईओ सुमन अग्रवाल, लेखक प्रताप नारायण सिंह, महामंत्री धनंजय जयपुरी, पूर्व प्राचार्य डॉ सी एस पांडेय,प्रसिद्ध ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह, सरपंच संघ के प्रांतीय अधिकारी रविंद्र कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर अतिथियों ने पुस्तक का लोकार्पण किया। संबोधन के क्रम में वक्ताआें ने कहा कि कैकेई खंड काव्य संग्रह एक बहुमूल्य कृति है। भक्ति काल में बहुत से काव्य की रचना हुई थी, लेकिन कैकेई नाम से कोई भी काव्य नहीं रचे गए थे। राम को रामत्व दिलाने में माता कैकेई का बहुमूल्य योगदान था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को बाल्यकाल में धनुर्विद्या माता कैकेई ने ही सिखाई थी। यह खंडकाव्य आधुनिक समय में सामाजिक संचेतना को जगाने में विशेष सहभागिता निभाएगी।आगत अतिथियों का स्वागत उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने किया। इस मौके पर डॉ रामाधार सिंह,डॉ संजीव रंजन,लालदेव प्रसाद, लवकुश प्रसाद सिंह,वैजनाथ सिंह, सुरेंद्र सिंह, अर्जुन सिंह, रामचंद्र सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, मुरलीधर पांडेय, सतीश कुमार पांडेय,अभय कुमार सिंह, उज्जवल रंजन, संतोष मिश्रा, विनय मामूली बुद्धि, हिमांशु चक्रपाणि, विनय कुमार सिंह, विष्णु देव शर्मा, धीरेन्द्र कुमार सिंह दिलीप सिंह,कवि श्रीराम राय सहित अन्य शामिल रहें।

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