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हरिऔध रचित खड़ी बोली का प्रथम काव्य प्रियप्रवास पर हुआ सामयिक संवाद

जिले का महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में आधुनिक खड़ी बोली के सर्जक एवं खड़ी बोली में प्रथम महाकाव्य लिखने वाले अयोध्या सिंह उपाध्याय जी की 159वीं जयंती के मौके पर सामयिक संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्था के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, महामंत्री धनंजय जयपुरी, संरक्षक ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह के आह्वान पर आयोजित संवाद के संबोधन के क्रम में जिला उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने कहा कि हरिऔध जी आधुनिक हिंदी साहित्य के भारतेंदु युग के प्रतिनिधि कवि के रूप में जाने जाते हैं।काव्य के साथ-साथ उन्होंने निबंध एवं पत्रिका के संपादन में भी बेहतरीन कार्य किए थे।हिंदी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें विद्या वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत किया था।प्रिय प्रवास आधुनिक खड़ी बोली का पहला महाकाव्य है।उनकी वैदेही वनवास प्रबंध काव्य है जिसमें मां जानकी माता के जीवन वृत्त का वर्णन किया गया है।पारिजात, रस कलश काव्य शास्त्र की चर्चित कृतियां हैं।हिंदी भाषा और साहित्य का विकास उनकी ऐतिहासिक साहित्यिक वृति है जिसमें आधुनिक हिंदी में अप्रतिम भूमिका निभाने वाले रचनाकारों का वर्णन दिया गया है।औरंगाबाद जिले में भी धनंजय जयपुरी द्रुत विलंबित एवं खड़ी बोली में जो काव्य गीता द्रुत विलंबित लिखे हैं वह काव्य प्रिय प्रवास की श्रेणी में ही आती है।संवाद के मौके पर सुजीत कुमार सिंह,राणा सुनील,गायक अमित कुमार सिंह, शिक्षक नवीन कुमार, सोम प्रकाश रविकर,सौरभ राज सहित अन्य उपस्थित थे।

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