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भक्ति काल के अन्यतम कवि सूरदास की धूम से मनाई गई जयंती

सदर प्रखंड के जम्होर में मुखिया अलावती देवी के आवास पर रविवार को एक कार्यक्रम आयोजित कर भक्ति काल के अन्यतम कवि सूरदास जयंती धूमधाम से मनाई गई। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के बैनर तले आयोिजत कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह ने की। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने सर्वप्रथम सूरदास जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने सूरदास की व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए सुरेश विद्यार्थी ने कहा कि भक्ति काल में सगुण काव्यधारा के कृष्णाश्रयी शाखा के कवि सूरदास ने सनातनी परंपरा में जब ह्रास हो रही थी तो उसी समय वैशाख शुक्ल पंचमी को सूरदास का अवतरण हुआ और उन्होंने अपने काव्य रचना के माध्यम से ह्रास को दूर करने का प्रयास किया था।उन्हें वात्सल्य रस का सर्जक माना जाता है। वात्सल्य रस के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के जीवन वृत्त को इंगित कर मां यशोदा के माध्यम से उन्होंने जो उक्ति कहलवाया वह उक्ति अमरत्व को प्राप्त कर चुकी है। ब्रजभाषा में रचित सूरसागर, सुरसरावली,साहित्य लहरी कवि की कालजयी रचना है। जो,भक्ति काल को स्वर्ण काल से विभूषित करने में मानक की भूमिका निभाती है।सूरदास की रचनाएं जीवंत स्वरूप लिए हुए हैं जिसमें गेयता भी बरकरार हैं।रामचंद्र शुक्ल ने सूरदास पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि वे भक्ति काल के सूर्य के समान दैदीप्यमान कवि हैं।सुरदास जयंती के अवसर पर सुजीत कुमार सिंह,राणा सुनील, संजय कुमार,अधिवक्ता अमन राज,पूर्व वार्ड सदस्य राजकुमार सिंह,स्वच्छता पर्यवेक्षक नंदजी यादव सहित अन्य उपस्थित रहें।

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