औरंगाबाद से कपिल कुमार
बिहार विभूति डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह के 137 वें जन्मदिन मंगलवार को धूमधाम से मनाई गई। पैतृक गांव पोईवा में उनके भतीजे कौशलेंद्र प्रताप नारायण सिंह ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उनके परिवार के दर्जनों लोग मौजूद रहे। इस मौके पर उनके परिजनों ने कहा कि डॉ अनुग्रह नारायण सिंह की धरती के नाम से ही आज भी औरंगाबाद जिले का नाम रोशन हो रहा है। पूर्व मुखिया ने कहा कि उनके कृतित्व ऐसा था की कभी भुला नहीं जा सकता। उन्होंने औरंगाबाद के लिए कई ऐतिहासिक काम किया जिनका नाम कभी मिट नहीं सकता। आज उनके बताए हुए मार्गों पर चलने की जरूरत है। उनके बेहतरीन कार्यों की बदौलत उनका उपाधि बिहार विभूति की मिली थी। आज बिहार विभूति डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का नाम पूरे विश्व में गूंजयमान हो रहा है। अनुग्रह नारायण सिंह का जन्म 18 जून 1887 ईस्वी में पोईवा में हुआ था। डॉ अनुग्रह नारायण सिंह एक भारतीय राजनेता और बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने वित्त मंत्री भी (1946-1957) रहे थे। अनुग्रह बाबू (1887-1957) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक तथा राजनीतिज्ञ रहे हैं।उन्होंने महात्मा गांधी एवं डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद के साथ चंपारण सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। वे आधुनिक बिहार के निर्माताओं में से एक थे। लोकप्रियता के कारण उन्हें बिहार विभूति के रूप में जाना जाता था। उनका सौभ्य, स्निग्ध, शीतल, परोपकारी, अहंकारहीन और दर्पोदीप्त शख़्सियत बिहार के जन गण मन पर अधिकार किए हुए था।वे देश के स्वाधीनता-संग्राम के महान नायकों में एक थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पद चिह्नों पर चलने वाले उनके प्रिय अनुयायी भी थे। इस मौके पर कई परिजन मौजूद थे।