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थानेसर की जंग से सुधा बाहर, डीडी शर्मा बनाम अशोक अरोड़ा की होगी टक्कर – मीडिया सर्वे

थानेसर विधानसभा चुनाव में कई उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर रहे हैं जिनमें कई नाम हैं. मौजूदा राज्य मंत्री सुभाष सुधा ताज़ा मीडिया सर्वे में जहाँ काफ़ी पिछड़ते दिख रहे हैं वहीं ताज़ा स्थिति में लड़ाई जयभगवान शर्मा उर्फ़ डीडी शर्मा बनाम अशोक अरोड़ा के बीच दिखाई दे रही है.

पिछले 2 दिनों में 2 बड़े मीडिया पोर्टल के ऑनलाइन सर्वे से यह स्पष्ट हो चुका है की लड़ाई अब सिर्फ 2 उम्मीदवारों के बीच की ही बची है.

शहर के निवासी प्रेम प्रकाश से मैंने जब पूछा की सुभाष सुधा आखिर मीडिया सर्वे में क्यों पिछड़ गए हैं तो उनका स्पष्ट जवाब था की लगातार शहर के नगरपालिका पर सुधा जी के परिवार का कब्ज़ा रहना और विधानसभा के अंदर 10 वर्ष के कुशासन का विरोध ही मूल कारण है. प्रेम प्रकाश ने आगे बताया की पिछले 10 वर्ष में शहर की नालियों की स्थिति बद से बदतर होती गई लेकिन सुधा जी के परिवार ने सिर्फ अपनी धनोपार्जन पर ध्यान बनाये रखा. उन्होंने शहर के किसी समस्या के तरफ कोई ध्यान नहीं दिया लिहाजा शहर की स्थिति जर्जर होती चली गई. उन्होंने आगे बताया की ज्योतिशर जैसे बड़े तीर्थस्थल पर जल जमाव की समस्या है जिसपर सुधा जी मौन ही रहते हैं.

थानेसर के ही निवासी हर्ष ने बताया की विधानसभा में सुभाष सुधा ने थानेसर को कैटल फ्री घोषित किया था लेकिन आज शहर में आवारा पशु की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है. कुछ दिन पहले एक महिला के मृत्यु का कारण भी यही आवारा पशु बने. क्या सुभाष सुधा और नगरपालिका की चेयरमैन उनकी पत्नी उमा सुधा इसके लिए सरेआम माफ़ी मांगेंगे! शायद नहीं. फिर वो मीडिया सर्वे में पिछड़ते हैं तो यह कौन सी बड़ी बात है!

हमने कंग कॉलोनी के महिलाओं से जब उनके कॉलोनी का हाल लिया तो उनका कहना था की न तो यहाँ गली बनी है और न ही नाली. इस कॉलोनी में प्रतिदिन सिवरेज के पानी की निकासी को लेकर झगड़ा होता है. स्थानीय नगरपालिका के चेयरमैन उमा सुधा सुभाष सुधा की पत्नी हैं जो कई बार बोलने पर भी कुछ नहीं करती. स्थानीय महिला सुभाष सुधा और उमा सुधा का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में दिखाकर यह स्पष्ट करना चाहती है की उन्होंने अपने समस्या को लेकर सुधा परिवार को कई बार कॉल किया मैसेज किया पर कुछ नहीं बदला.

हमारे रिपोर्टर ने शहर के मोहन नगर, अंचला चौक, कीर्ति नगर, बस अड्डा सहित 10 जगहों पर जब आम लोगों से स्थानीय स्तर पर वोट को लेकर सवाल पूछा तो किसी ने भी स्थानीय विधायक के नाम पर सकारात्मक जवाब नहीं दिया.

हमने शहर के एक बुद्धिजीवी को कॉल किया तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर यह बताया की दरअसल पिछले चुनाव में ही सुभाष सुधा की हार तय थी लेकिन स्थानीय तौर पर कुछ मजबूत भाजपा कार्यकर्ताओं और कुछ पैसे के बदौलत सुधा ने अंतिम समय में कुछ वोट हासिल किया और लगभग 800 वोट से जीत गएं. उन्होंने सुधा को राज्यमंत्री बनाने के सवाल पर आश्चर्य जताते हुये यह कहा की यह महज एक संयोग के कारण राज्यमंत्री बनें क्यूंकि नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बन गएं जो इनके काफ़ी नज़दीक रहे हैं वरना सुधा जी को खत्री परिवार से होते हुये भी कभी खट्टर के द्वारा ज्यादा तरजीह नहीं दिया गया.

हमने जब उनसे यह पूछा की डीडी शर्मा को लोग सर्वे में क्यों पसंद करते दिख रहे हैं? तो उनका जवाब था – “दरअसल आप डीडी शर्मा को देखिएगा तो वो सरपंच रहें, जिला पार्षद रहें और कई तरह के संगठन में उन्होंने प्रमुख पदों पर बड़ी जिम्मेवारी निभाई लिहाजा उनके थानेसर से चुनाव लड़ने की घोषणा करते ही लोगों के बीच नाम आना शुरू हो गया लेकिन मेरा मानना है की डीडी शर्मा ने पिछले 2 महीनों में जो बड़े पैमाने पर कार्यक्रम की है इसने उनके पक्ष में माहौल को करने में सकारात्मक भूमिका निभाई है, लिहाजा अगर भाजपा से टिकट न भी मिले तो डीडी शर्मा आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर यहाँ से दावा ठोकने जा रहे हैं और वो दौड़ में भी अहम उम्मीदवार हैं “

मैंने जब उन्हीं बुद्धिजीवी से कांग्रेस के प्रबल दावेदार अशोक अरोड़ा पर सवाल किया तो उनका जवाब था- “दरअसल पुरे हरियाणा में इसबार परिवर्तन की लहर है लिहाजा कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार का थानेसर में सर्वे में समर्थन मिलना कोई अतिश्योक्ति नहीं है पर यह भी मानना होगा की अशोक अरोड़ा यहाँ पहले विधायक रहे चुके हैं और यह भी मानना होगा की परम्परागत रूप से यहाँ जाट वोट ही कांग्रेस को जाता रहा है जिनकी इस विधानसभा में संख्या 10 हज़ार वोटों के आसपास ही है जो कुल वोटों का महज 5% के आसपास है, दूसरी तरफ अरोड़ा जिस पंजाबी खत्री परिवार से आते हैं उनका वोट सुधा और अरोड़ा में भी बंटेगा और कुछ वोट डीडी शर्मा भी ले जायेंगे क्यूंकि शहर के अंदर व्यापारिक परिवारों पर डीडी शर्मा की पकड़ भी मजबूत है लिहाजा मामला रोचक ही होगा और इसमें ब्राह्मणों के लगभग 28 हज़ार वोट को जोड़े तो डीडी शर्मा का पक्ष भारी भी साबित हो सकता है. एक बात और ध्यान देने योग्य है की कांग्रेस के अंदर थानेसर में भारी अंतर्कलह चल रही है और कुछ पुराने कांग्रेसी आज भी अशोक अरोड़ा को इनेलो से आया हुआ बताकर उनके उम्मीदवारी को नकारते रहे हैं जिसका प्रभाव भी कांग्रेस वोट बैंक पर पड़ेगा फिर भी यह चुनाव रोचक होने जा रहा है”

कुरुक्षेत्र से RB की रिपोर्ट.

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