टूट रही अंतिम सांस को जीवनदान देने के लिए जरूर करें रक्तदानः मुख्य महाप्रबंधक
औरंगाबाद से कपिल कुमार
सदर रक्तदान से ही बचाया जा सकता है किसी का जान। अंतिम अवस्था में जब रक्त की कमी होती है तो सारे अपने लोग पीछे हट जाते हैं। रिश्तेदार से लेकर अपने घर के लोग भी जागरूकता के अभाव में ब्लड डोनेट नहीं कर पाते हैं। इस अंतिम समय में टूट रही सांस को जीवनदान देने के लिए वैसे ही हिम्मतवाले रक्तवीर आगे आते हैं जिनके द्वारा दिये गये रक्त से जान बचता है। ये बातें शनिवार को एनटीपीसी में आयोजित विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर आयोजित रक्तदान शिविर के मौके पर एनटीपीसी के परियोजना प्रमुख सह मुख्य महाप्रबंधक चंदन कुमार सामंता ने कही। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी में आयोजित रक्तदान शिविर में लोग खूद से बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और स्वैच्छिक रूप से 60 लोगों ने रक्तदान कर पुण्य का काम किया। एनटीपीसी के पदाधिकारियों, सीआइएसएफ के जवान समेत अन्य कर्मियों ने भी भाग लिया और रक्तदान कर एक दूसरे को जान बचाने का संकल्प लिया। मुख्य महाप्रबंधक चंदन कुमार सामंता ने बताया कि रक्तदान से बड़ा दान कुछ नहीं है। ब्लड न तो गरीबी देखती है और न ही अमीर। कभी भी किसी समय किसी को भी रक्त की आवश्यकता पड़ सकती है। सभी जाति, धर्मो के लोगों में एक दूसरे का दिया हुआ ब्लड जीवन बचाती है। आये दिन महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान, सड़क दुर्घटना, बीमारी, थैलिसिमिया पीड़ित समेत अन्य में रक्त की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि रक्त लेने के लिए सभी तैयार रहते हैं, लेकिन देने के लिए बहुत ही कम लोग आतें हैं। शिविर के माध्यम से मुख्य महाप्रबंधक ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि रक्त देने से शरीर में रक्त की कमी नहीं होती है। बस उनके हौसले बुलंद व जज्बा उंचा होने चाहिए। आजकल तो जब अपने घर में किसी को रक्त की कमी होती है तो इधर-उधर रक्त की व्यवस्था में दौड़ लगाना शुरू कर देते हैं। लेकिन रक्तदान करने की हिम्मत नहीं होती। रक्तदान के प्रति सभी को आगे आने की जरूरत है। तभी वे एक दूसरे को जान बचा सकते हैं। इस मौके पर स्वरा महिला संघ की अध्यक्षा राखी सामंता, महाप्रबंधक एफएम आरपी अग्रवाल, महाप्रबंधक आॅपरेशन एके त्रीपाठी, डीसी सीआइएसएफ राघवेंद्र सिंह समेत अन्य लोगों ने रक्तदान किया। शिविर में रेडक्राॅस सोसाइटी द्वारा प्रश्स्ती पत्र देकर रक्तवीरों के हौसले को बुलंद किया।