औरंगाबाद से कपिल कुमार।
औरंगाबाद कृषि विज्ञान केन्द्र सिरिस में पिछले छह दिनों से आयोजित केचुआं खाद उत्पादन प्रशिक्षण मंगलवार को सम्पन्न हो गया। इस मौके पर प्रशिक्षणार्थियों को बेहतर तरीके से केचुआं उत्पादन करने की तरकीब बताया गया। यह प्रशिक्षण श्रम संसाधन विभाग द्वारा बिहार कौशल विकास मिशन के अंतर्गत कौशन उन्नयन के लिए आयोजित किया गया था। इसमें दर्जनों युवा युवती एवं किसान शामिल होकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। समापन समारोह का उद्घाटन वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान तथा अन्य वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान डाॅ विनय कुमार मंडल ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को केचुआ खाद उत्पादन के सभी तरीकों को बारिकी से बताया। कहा कि जो भी प्रशिक्षण प्राप्त किये हैं वे लगन के साथ इसे अपनाएं और केचुआ खाद का उत्पादन कर रोजगार से जुड़े। इससे किसानों के खेतों में कई तरह के फायदे मिलते है। इसके बारे में जानकारी की जरूरत होती है। बिना जानकारी के अभाव में किसान इसे नहीं अपनाते। आप सभी इसकी जानकारी अच्छी से प्राप्त कर लिये हैं अब सभी लोग नये तरकीब के साथ केचुआ खाद का उत्पादन करें और खेती से जुड़कर इसे प्रयोग करें। प्रशिक्षिका डाॅ प्रतिभा कुमारी ने वैज्ञानिक मृदा विज्ञान द्वारा केचुआं से खाद के निर्माण की संपूर्ण जानकारी दी। वहीं फसलों में केचुआ खाद का कैसे प्रयोग करना है, क्या क्या फायदे होते हैं सभी बिंदुओं को विस्तार से बताया। वैज्ञानिक डाॅ आशुतोष कुमार ने वैज्ञानिक पादप प्रजनन एवं आनुवांशिकी ने रसायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव तथा भूमि को बंजर होने से बचाने के उपाय बताया। प्रशिक्षण के दौरान बिहार सरकार के सहायक निदेशक उद्यान डाॅ श्रीकांत ने वर्मीकम्पोस्ट इकाई पर दिये जाने वाली सरकारी अनुदान तथा तैयार केचुआं खाद की खपत की पूरी जानकारी दी। केन्द्र के अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि इससे युवा युवतियों में रोजगार का अवसर बढेगा। इस मौके पर डाॅ सुनीता कुमारी, पंकज कुमार सिन्हा, डाॅ अनुराधा सिन्हा समेत अन्य मौजूद रहें।